अथक किया उसने परिश्रम, चुन-चुन कर तिनकों को, बना ल
"अथक किया उसने परिश्रम,
चुन-चुन कर तिनकों को,
बना लिया अपना घर द्वार,
दो रत्नों को दिया जन्म,
तब पूर्ण हुआ उनका संसार,
बङे सयाने तुम निकाले,
तुमने अपने स्वार्थवश,
तोड़ दिया उसका घर द्वार,
क्यों नष्ट किया उसका संसार।।
सुरजीत"
अथक किया उसने परिश्रम,
चुन-चुन कर तिनकों को,
बना लिया अपना घर द्वार,
दो रत्नों को दिया जन्म,
तब पूर्ण हुआ उनका संसार,
बङे सयाने तुम निकाले,
तुमने अपने स्वार्थवश,
तोड़ दिया उसका घर द्वार,
क्यों नष्ट किया उसका संसार।।
सुरजीत