उसकी मासूमियत को देख, जो मुस्कुरा उठता हूँ,
मैं उससे दूर भी खुश हूँ, ये उसका तर्क होता है।
उस नादान शख्स को तो इतना भी नहीं मालूम,
कि हालत और हालात में काफी फर्क होता है।
©आशुतोष आर्य "हिन्दुस्तानी"
उसकी मासूमियत को देख, जो मुस्कुरा उठता हूँ,
मैं उससे दूर भी खुश हूँ, ये उसका तर्क होता है।
उस नादान शख्स को तो इतना भी नहीं मालूम,
कि हालत और हालात में काफी फर्क होता है।
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