चंद लम्हे की कहानी विरासत मे
बिकने लगी
उदासी की निशानी हर चेहरे पर
दिखने लगी
क्या गैर क्या अपना सबकी जुबान
एक सी चुभने लगी
बिन बोले ही दामन में शिकायत बिखरने
लगी
सामत आई थी रात की आँखों मे नींद
घुलने लगी
ख्वाब का सिलसिला जारी था फिर से
एक बार दर्द मे वो कराहने लगी!!
©चाँदनी