"खता हो गई आज हमसे ये अभी-अभी...
भेजा था जो प्रेमपत्र तुमने वो पढ़ा ही नहीं कभी....
सिरहाने के नीचे संभाल कर रखा था मैंने,
खत भी मेरे दिल के साथ धड़क रहा था...
कैसे पढूं आँखे लज्जा रहीं थी मेरी,,
आज मुझसे खता पे खता हो रही थी....
पढूंगी नहीं तो जवाब कैसे दूंगी खत का,,
क्या ये नहीं होगी इक और नई खता मेरी...!!
©Rishnit❤️
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