गणपति करूँ विनती
मैं दो कर जोर शाम से भोर
मेरी अरजी की लाज रखो
एक बार इधर देखो!
जगत यह तीन लोक सारी गजानन तुम सबके स्वामी
कहाँ हो धूप कहाँ हो छाँव प्रभु तुम कालचक्र की ठाँव।
करूँ भक्ति यथा शक्ति पूजन स्वीकार करो।
गणपति करूँ विनती
मैं दो कर जोर शाम से भोर
मेरी अरजी की लाज रखो
एक बार इधर देखो!
तुम्हारे बिन कहाँ जाऊँ कहीं प्यासी न मर जाऊँ
भरी दुख से मेरी गठरी नयन आँसू भरी गगरी।
कृपा कर नाथ रखो सर हाथ मेरे दुःख का संहार करो
गणपति करूँ विनती
मैं दो कर जोर शाम से भोर
मेरी अरजी की लाज रखो
एक बार इधर देखो!
शुभ और लाभ ऋद्धि सिद्धि विनायक तुमसे कुशल वृद्धि
सभी विपदा बने मूषक तुम्ही सब विघ्न के नाशक।
तेरी चरणों में हूँ कबसे प्रभु अब तो उद्धार करो।
गणपति करूँ विनती
मैं दो कर जोर शाम से भोर
मेरी अरजी की लाज रखो
एक बार इधर देखो!
✍ रागिनी प्रीत
©Ragini Preet
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