कुँए की रस्सी
किस्मत ने जोड़ दिया था मुझे
कठोर ह्रदय पत्थर के साथ
मैं एक मामूली सी रस्सी
क्या ही तो थी औकात मेरी
दंभ में चूर वो देता रहा चोट मुझे
नियति बन गयी मेरी चोट सहना
निरंतर चलती रही मैं अपने पथ पर
कर्म को ही जीवन मानकर
मौन रहकर भी मैंने
दिखा दिया विद्रोह अपना
रंग लायी एक दिन मेहनत मेरी
और सफल हो गयी मै
पत्थर पर अपनी छाप छोड़ने में
मैं एक मामूली सी रस्सी..!!
#BoneFire