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इस कदर अपनी अदाओं से सताना छोड़ दो
चाँद से मुखड़े को आँचल में छुपाना छोड़ दो
क़त्ल हो जायेंगे तेरी मुस्कराहट से सी हम
तीर नज़रों से यूँ अपनी तुम चलाना छोड़ दो
शौक ही है गर हमें तरसाने का तुमको अना
तो मेरे ख्वाबो खयालो में यूँ आना छोड़ दो
कहदे झूठी थी रिवायतें सब मुहब्बत की तेरी
इस तरह से तो हमें तुम आजमाना छोड़ दो
डूबना ही है लिखा किस्मत में पाकर गर तुम्हे
डगमगाती मेरी किश्ती को बचना छोड़ दो
दिल में जब चाहत नहीं रिश्ते निभाने की तेरे
अपने पहलू में हमें फिर यूँ बिठाना छोड़ दो
(लक्षमण दावानी जबलपुर✍️)
©laxman dawani
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