हुस्न-ए-बेनजीर के तलबगार हुए बैठे हैं, उनकी एक झल | हिंदी शायरी

"हुस्न-ए-बेनजीर के तलबगार हुए बैठे हैं, उनकी एक झलक पाने को बेकरार हुए बैठे हैं ।। उनके नाजुक हाथों से सजा पाने के कितनी सदियों से हम गुनाहगार हुए बैठे हैं ।। ©बेजुबान शायर shivkumar"

 हुस्न-ए-बेनजीर के तलबगार हुए बैठे हैं,
उनकी एक झलक पाने को बेकरार हुए बैठे हैं ।।
उनके नाजुक हाथों से सजा पाने के
कितनी सदियों से हम गुनाहगार हुए बैठे हैं ।।

©बेजुबान शायर shivkumar

हुस्न-ए-बेनजीर के तलबगार हुए बैठे हैं, उनकी एक झलक पाने को बेकरार हुए बैठे हैं ।। उनके नाजुक हाथों से सजा पाने के कितनी सदियों से हम गुनाहगार हुए बैठे हैं ।। ©बेजुबान शायर shivkumar

हुस्न-ए-बेनजीर के तलबगार हुए बैठे हैं,
उनकी एक #झलक पाने को #बेकरार हुए बैठे हैं ।।
उनके #नाजुक हाथों से #सजा पाने के
कितनी सदियों से हम #गुनाहगार हुए बैठे हैं ।।
@Sethi Ji @puja udeshi @poonam atrey @Kshitija @Jyotilata Parida शायरी हिंदी में Extraterrestrial लाइफ

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