दुसरों को इकट्ठा करते करते " अंदर से बहुत टूट गया | हिंदी Poetry

"दुसरों को इकट्ठा करते करते " अंदर से बहुत टूट गया हूँ यार ! ©umesh saroj"

 दुसरों को इकट्ठा करते करते "
अंदर से बहुत टूट गया हूँ यार !

©umesh saroj

दुसरों को इकट्ठा करते करते " अंदर से बहुत टूट गया हूँ यार ! ©umesh saroj

life struggle

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