जिंदगी में अकेले ख़ामोश बैठा रहा,
कभी राह तो कभी दरिया में लेटा रहा,
कोई नही साथी जैसे दिया बिन बाती,
अकेले सफर में मंझिल की ओर चलता रहा,
फिर अचानक तुम मिल गए,
जैसे गुल ए गुलशन खिल गए,
फिर दिल की गहराइयों ने मुक्कदर बदल दी,
तेरी खुशी के जश्न ने कांटो की चादर बदल दी,
तू यूँ ही मेरा साथ निभाते जा,
खुशी के गुल खिलाते जा,
मैं तेरे गम ए जिन्दगी बदल दूंगा
तू यूँ ही मेरी छाया बनकर साथ निभाते जा।
✍️✍️दीपक खनसूली
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