भूखंड, ईट, रेत, पत्थर कुछ नहीं आता और नजर कविता | हिंदी कविता Video

"भूखंड, ईट, रेत, पत्थर कुछ नहीं आता और नजर कविता कैसे रची जाएगी अब कलम कैसे चलेगी जाने अब फूल, पेड़, खेत, खलिहान पड़े है सब वीरान और जो गरीब है हर वक्त मौत के करीब है धनाढ्यों का धन उजाड़ रहा है वन ©Kamlesh Kandpal "

भूखंड, ईट, रेत, पत्थर कुछ नहीं आता और नजर कविता कैसे रची जाएगी अब कलम कैसे चलेगी जाने अब फूल, पेड़, खेत, खलिहान पड़े है सब वीरान और जो गरीब है हर वक्त मौत के करीब है धनाढ्यों का धन उजाड़ रहा है वन ©Kamlesh Kandpal

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