White स्वप्नों के लिए स्वप्न तोड़ रहे
खुद से खुद का मन मोड़ रहे
पंक्षी पंथी सब पड़े विराने में
डगमग करते देह छोड़ रहे
..पर ..
आकाश पवन में उड़ता देखा
बाधाओं से भिड़ते देखा
चिंगारी लिए जिगर में
शमशीरों को लड़ते देखा
उम्मीदों के सागर में
जज्बातों के गागर में
मिट्टी मिट्टी रोता जग
आखों से मोती खोता खग
घन तिमिर के काले वन में
हिम्मत की मशाल जला
उठा शस्त्र और उतर रण में
मानव स्वप्न साकार करने चला
©kumar shivam hindustani
स्वप्नों के लिए स्वप्न तोड़ रहे
खुद से खुद का मन मोड़ रहे
पंक्षी पंथी सब पड़े विराने में
डगमग करते देह छोड़ रहे
पर
आकाश पवन में उड़ता देखा
बाधाओं से भिड़ते देखा
चिंगारी लिए जिगर में