अगर तकलीफ बहोत है हमसे तुम मुझे छोड़ क्यों नहीं दे | हिंदी शायरी

"अगर तकलीफ बहोत है हमसे तुम मुझे छोड़ क्यों नहीं देते? माना की बहोत बेरहम थे हम मगर बेरहम तुम भी कम थे ? छोड़ने की ये बात आतीही कैसे अगर पहले हमारे दिल में रहते? बीती बातों को कर बेखबर तू चलो आज फिर से है मिलते! ©प्रल्हाद दुधाळ"

 अगर तकलीफ बहोत है हमसे
तुम मुझे छोड़ क्यों नहीं देते?

माना की बहोत बेरहम थे हम
मगर बेरहम तुम भी कम थे ?

छोड़ने की ये बात आतीही कैसे 
अगर पहले हमारे दिल में रहते?

बीती बातों को कर बेखबर तू
चलो आज फिर से है मिलते!

©प्रल्हाद दुधाळ

अगर तकलीफ बहोत है हमसे तुम मुझे छोड़ क्यों नहीं देते? माना की बहोत बेरहम थे हम मगर बेरहम तुम भी कम थे ? छोड़ने की ये बात आतीही कैसे अगर पहले हमारे दिल में रहते? बीती बातों को कर बेखबर तू चलो आज फिर से है मिलते! ©प्रल्हाद दुधाळ

#फिर

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