ज़िंदगी से तकरार बहुत पहले से बना रखी है
ये चहरे की मुस्कुराहट तो बस सज़ा रखी है
लबो पर किस्से नहीं लाते हम बीते दिनों के
नही तो कुछ कहानियां हमने भी दबा रखी है
औऱ कहते हो कि सदमें में है हम आजकल
तो बताओ फ़िर ये दूरियां क्यो बना रखी है
माना में तुम्हारे ख्वाबो का भी हक़दार नही
तो सुनो हमने तो अपनी नींदें भी उड़ा रखी है
सनी गोस्वामी
(ज़िंदा शायर)