White मेरा देश आजाद हुआ है
मगर आजाद कहां हूं में
आज भी में डरता हूं रात को
अकेले घर लौटने से
आज भी में पिसता हूं
अमीरों के पैरो के जूतों में
आज भी मुझे सारे आम बे इज्ज़त
किया जाता है ।
मुझे मेरा हक मांगने का हक नहीं
आज मुझे मेरे बच्चे छोड़ आते है
बृधाश्रम के दर पर,
आज भी सोता हूं में सड़क के किनारे
छत मिला नही है सर पर ।
अगर यही आजादी है
तो अच्छा था में गुलामी मे
तब मे और आज मे मुझे
कोई फरक तो नहीं दिखता ।
पहले बस लोग अलग थे
सोच वोही था आज का
आज़ाद करूं में कैसे खुदको
बेड़ी पाव में है समाज का ।
©The Aghori
#happy_independence_day देशभक्ति कविता हिंदी कविता देशभक्ति कविताएँ कविता