आगे पढें #Numb #कहानीकार
उसने बचपन से देखा था कि बस स्टैंड सुनसान तब होता है जब कोई व्यक्ति की डेथ हो गई हों और सभी उसके दाग मे गए हों वो डरने लगी। की हों क्या रहा है अब गाड़ी घर के पास कुछ दूर पर ही खड़ी कर दी। क्योंकि घर थोड़ा मंदिर के पिछे था वहा गाड़ी पहले से ही खड़ी थी उसने ऐसा पहले भी देखा था की बाहर से कोई बैठने आता है तब ऐसी गाडी लाते हैं। उसने मंदिर के बाहर से भगवान को प्रणाम किया इतने मे ही पति ने कहा की तेरा छोटा भाई नहीं है। उसने सोचा कि जब हॉस्पिटल से डिस्चार्ज नहीं किया होगा। पुरा मोहल्ला सुनसान और साय साय कर रहा था। उसे पता ही नहीं चला की कब पति उसके बेटे को लेकर ड्राईवर के साथ शमशान घाट चले गए उन्हें पता चल गया था कि उसे लें जा चुके थे। वो अपनी छोटी बेटी को ऊंगली पकड़ कर घर की दहलीज पर कदम रखा और आवाज़ लगाई की मम्मी मै आ गईं तभी बेहोश होकर पड़ीछोटी बहन जो पहले ही आचुकी थीं उसे होश आया। वो बाहर आई। वो बोलने लगी की जीजी भाई बड़ी आंखों से आसू पोछे बहन के और बोली की कुछ नहीं होगा भाई को देख ये धागा लाई हूं अभी बांध दूंगी तो सब ठीक हो जाएगा उतने मे ही दूसरी बहन भी रोती हुई आई उसने सुना तो वो बोली तुझे पता नही। वो फिर वही बात दोहराने लगी वो बोली कहा है मम्मी और पापा दोनों भाई तभी उसकी मम्मी को बड़ी बेटी की आवाज आई वो रो रहीं थीं और कह रही थी कि अब तू राखी किसके बांधेगी तेरा बेटे जैसे भाई वहा पर होल में औरते बैठी हुई थी। उसे पता था की गांव वाले तो आते हैं और अभी आएंगे स्वास्थ्य ठीक है या नहीं जानने के लिए वो मां को चुप कराने लगी वो बोली अस्पताल ही तो है अभी आ जायेगा और पापा कहा है तब मां बोली रोते हुए तू किसे ढूंढ रही है वो तो अब कभी नहीं आएगा। में रोकती रह गईं की बड़ी बहन को आजाने दो उसने हिपाला है उसे उसे तो मुंह दिखा दो ये सुनते ही बहन पागल की तरह हों गई और वो शमशान की तरफ़ भागने लगी पर उसे बहा आसपड़ोस की ओरतो ने कस कर पकड़ लिया जानें नहीं दिया जब पति बहा पहुंचा था तब तक उसे जला दिया गया था उस दिन एक नहीं श्मसान में पांच लाशे जली थी पूरा शमसान भरा था जो पहले कभी नहीं हुआ था। आगे
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