महिला हो तुम, अबला नहीं,
जीवनदात्री, जगनिर्माता
जननी हो अबला नहीं।
तुम हो तो घर है, तुम हो तो वंश है
जननी हो तुम अबला नहीं।
तुम्हारे आँचल में छांव है
हृदय में तुम्हारे प्यार है
आंगन की रौनक तुमसे
जननी हो तुम अबला नहीं।
कभी उठाया शस्त्र तुमने
तो रानी लक्ष्मी बाई हो
हाथ में उठाया कलम तो देवी सरस्वती हो
रसोई की तुम ही अन्नपूर्णा हो
जननी हो तुम, अबला नहीं।
अपारशक्ति का भंडार हो तुम
जननी हो तुम, अबला नहीं।
©santoshi das pandey
#womensday2021