Part 1
माँ -बाप की लाडली बेटी ,
कब हो गई इतनी बड़ी ,
समय पंख लगा कर निकला,
आज वह दुल्हन बन कर खड़ी ।
कलेजे के टुकड़े को आज,
सौप देना है किसी ओर के हाथ,
यही है रीत इस दुनिया की,
मन पर पत्थर रख करने है सब काज ।
नम आँखे उनकी बोल रही है जैसे,
लाड़-प्यार से पाला जिसको,
कोई दुख ना छू पाए इसको,
बन्द होठ बोले बिना इसके जियँगे हम कैसे ।
#Woman