याद है वो दिन जब...
मैंने तुझे देखा,
और देखती ही रह गयी थी।
वो पहली दफा नहीं था,
उससे पहले भी कई मर्तबा,
नजरों से नजरों का मिलना हुआ है।
पर उस दिन तुझमें कुछ अलग ही बात थी,
तेरा यूं क्लीन शेव करके,
सूट-बूट पहनकर,
काला चश्मा लगाकर,
मेरे सामने से यूं अंजान बनकर गुजर जाना,
उफ्फ...
उफ्फ...
कतई जहर वाला शमां हो गया था।
ऊपर से तेरी तिरछी निगाहों के वार ने भी
ऐसा घायल किया कि
अब तलक मेरी इन निगाहों को कोई और जच्ता ही नहीं।
उस पल को बीते अब कई वक्त गुजर गया,
पर तेरी उन अदाओं ने ऐसा जादू किया है,
कि दिल लिखते-लिखते, अब भी जोरो से धड़क रहा है।।
©dpDAMS
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