ना जाने वो क्यु हमसे दुर बेठे है,
वो ख़ामोश थीं हम निगाहों में लब्जो को ठूंठ बेठे है,
उसके दिल में तो परदा हैं,
पर हम उसे दील में संभाल बेठे है,
दर्द की कमी नही है मेरे पास,
पर हम इसके दर्द को अपनाए बैठे हैं,
हम छोड़ कर सारि बंदिशे उस्से दिल लगाए बैठे हैं,
और वो हे की "हम आपके हैं कौन " सवाल कि रट लगाए बैठे हैं।।
:- दर्शन आहिर "दर्वन"
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