अपनी सादगी पे ओ आज भी इतरा रहा था, साहिल ए समंदर स | हिंदी लव

"अपनी सादगी पे ओ आज भी इतरा रहा था, साहिल ए समंदर से फिर भी खुद को छुपा रहा था, फिर भी हमने गुस्ताकी की , और पूछा उस चांद से तू इतना क्यू मुस्कुरा रहा था.... ©Kunal J Harne"

 अपनी सादगी पे ओ आज भी इतरा रहा था,
साहिल ए समंदर से फिर भी खुद को छुपा रहा था,
फिर भी हमने गुस्ताकी की ,
और
पूछा उस चांद से तू इतना क्यू मुस्कुरा रहा था....

©Kunal J Harne

अपनी सादगी पे ओ आज भी इतरा रहा था, साहिल ए समंदर से फिर भी खुद को छुपा रहा था, फिर भी हमने गुस्ताकी की , और पूछा उस चांद से तू इतना क्यू मुस्कुरा रहा था.... ©Kunal J Harne

#Moon #simplicity

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