"अस्तित्व"
सिर्फ़ पेड़ होना ही काफ़ी नहीं
घना और विशाल भी बनना पड़ता है।
एक वृक्ष को सम्मान पाने के लिए..
नदी नहीं मानी जाती है ।
नदीजब तक प्रवाह में उफ़ान न हो
और जल में शीतलता नही आती ।
मनुष्य का सिर्फ मनुष्य होना भी काफ़ी नहीं है ।
सत्कार पाने के लिए ज़रूरी है ।
बाहों में बल, चेहरे पर चमक
उच्च कुल, श्रेष्ठ पदनही तो कम से कम पर्याप्त धन ।
नैसर्गिक मनुष्य द्वारा ही बनाए गए समाज में
सिर्फ़ एक नैसर्गिक मनुष्य होने का कोई अस्तित्व नहीं !
©बेजुबान शायर shivkumar
" #अस्तित्व "
सिर्फ़ पेड़ होना ही काफ़ी नहीं
घना और विशाल भी बनना पड़ता है।
एक #वृक्ष को #सम्मान पाने के लिए..
नदी नहीं मानी जाती है ।
नदीजब तक प्रवाह में #उफ़ान न हो