आज आसमान शांत है
हल्की मद्धम सी हवा बह रही है
चिड़िया चहचहाहट वाली आवाजें
कोयल की कु.. कु..की कूक...
और उस पर सतरंगी मोर का
सुनहरे और मन को लालायित करने वाले
मौसम का आह्वान।
मानो मन की डाली हवा में झूम रही हो
जैसे टूट कर गिरना चाहती हो
प्रेयसी की गोद में
बेसब्र होकर आलिंगन करने के लिए।
भिनी भीनी सी हल्की मीठी
मिट्ठी की खुशबू
उसकी देह से छूकर गुजरी हो जैसे।
तुम बांध लो अपनी ज़ुल्फ को
में उलझना नहीं चाहता।
ये काली घटा के बरसने का सही वक़्त नहीं है
पंछी लौट रहे है अपने घर को
तुम पिंजरे खोल दो
में भी रुक जाऊंगा तब
जब कोई पिंजरा
किसी पंछी की तलाश में तो निकले।
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--- मुकेश --
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#तुम रोक को ना