मुझे याद आता है वो बचपन, जब नाना जी के कन्धों पर ब | हिंदी Quotes

"मुझे याद आता है वो बचपन, जब नाना जी के कन्धों पर बैठ कर लगता था कोई नहीं है मुझसा सिकंदर, न कोई गम न कोई फ़िकर पूरी दुनिया से था बेख़बर, चंद रूपयों में ढेर सारी खुशिया खरीद लाता था, चंद लम्हों में ढेर सारी यादों को बटोर लाता था, ©Abhinav Chirag"

 मुझे याद आता है वो बचपन,
जब नाना जी के कन्धों पर बैठ कर 
लगता था कोई नहीं है मुझसा सिकंदर,
न कोई गम न कोई फ़िकर पूरी दुनिया से था बेख़बर,
चंद रूपयों में ढेर सारी खुशिया खरीद लाता था,
चंद लम्हों में ढेर सारी यादों को बटोर लाता था,

©Abhinav Chirag

मुझे याद आता है वो बचपन, जब नाना जी के कन्धों पर बैठ कर लगता था कोई नहीं है मुझसा सिकंदर, न कोई गम न कोई फ़िकर पूरी दुनिया से था बेख़बर, चंद रूपयों में ढेर सारी खुशिया खरीद लाता था, चंद लम्हों में ढेर सारी यादों को बटोर लाता था, ©Abhinav Chirag

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