भरी दोपहरी मे भी जैसे वो मोहब्बत का छापरा था वो

"भरी दोपहरी मे भी जैसे वो मोहब्बत का छापरा था वो घड़ी लाखो की थी एक एक जब शहर मे यारो के झुंड का जमाबड़ा था ।। ©dev sharma"

 भरी दोपहरी मे भी जैसे
 वो मोहब्बत का छापरा था 
वो घड़ी लाखो की थी एक एक 
जब शहर मे 
यारो के झुंड का जमाबड़ा था ।।

©dev sharma

भरी दोपहरी मे भी जैसे वो मोहब्बत का छापरा था वो घड़ी लाखो की थी एक एक जब शहर मे यारो के झुंड का जमाबड़ा था ।। ©dev sharma

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