मित्रता एक भाव है जैसे बरगद के पैड की छांव है
धूंप है सर्दी की ये दरिया में डूबते को मित्रता नांव है
मित्रता भर देती है जीवन में जो तन्हाई का घाव है
जहां सब छोड़ जाते हैं मतलब निकलने के बाद अक्सर
वो जो बेमतलब भी साथ में रहे मित्रता वो एहसास है
मैं गुज़र चुका हूं उस दौर से भी जहां मोहब्बत ने धोखा दे दिया मुझको
बस इतना कहूंगा मोहब्बत भले कभी ना करना मित्रता अवश्य करना मेरा ये सुझाव है
#गोपाल_पंडित
©Gopal Pandit
मित्रता एक भाव है जैसे बरगद के पैड की छांव है
धूंप है सर्दी की ये दरिया में डूबते को मित्रता नांव है
मित्रता भर देती है जीवन में जो तन्हाई का घाव है
जहां सब छोड़ जाते हैं मतलब निकलने के बाद अक्सर
वो जो बेमतलब भी साथ में रहे मित्रता वो एहसास है
मैं गुज़र चुका हूं उस दौर से भी जहां मोहब्बत ने धोखा दे दिया मुझको
बस इतना कहूंगा मोहब्बत भले कभी ना करना मित्रता अवश्य करना मेरा ये सुझाव है