वीर पुरुषों ने अपनी जान गँवाई थी तब जाकर देश में क | हिंदी Poetry

"वीर पुरुषों ने अपनी जान गँवाई थी तब जाकर देश में क्रांति आई थी। नम थी लाखों आँखें जब उन आँखों के इर्द गिर्द पड़ी थी हज़ारों लाशें। एक ओर आज़ादी की खुशी थी तो दूजी ओर बह रही खून की नदी थी। खुश थे हम,की सदियों बाद आज़ाद हो गये पर दुखी था मन,कि हमें आज़ाद कराने वाले तो कफ़न पहन कर सो गये। स्वतंत्रता दिवस की शुभकामनाएं।. 🙏🇮🇳🙏 ©Abhishek Mishra"

 वीर पुरुषों ने अपनी जान गँवाई थी
तब जाकर देश में क्रांति आई थी।
नम थी लाखों आँखें
जब उन आँखों के इर्द गिर्द पड़ी थी हज़ारों लाशें।
एक ओर आज़ादी की खुशी थी
तो दूजी ओर बह रही खून की नदी थी।
खुश थे हम,की सदियों बाद आज़ाद हो गये
पर दुखी था मन,कि हमें आज़ाद कराने वाले तो कफ़न पहन कर सो गये।
           स्वतंत्रता दिवस की शुभकामनाएं।.
                             🙏🇮🇳🙏

©Abhishek Mishra

वीर पुरुषों ने अपनी जान गँवाई थी तब जाकर देश में क्रांति आई थी। नम थी लाखों आँखें जब उन आँखों के इर्द गिर्द पड़ी थी हज़ारों लाशें। एक ओर आज़ादी की खुशी थी तो दूजी ओर बह रही खून की नदी थी। खुश थे हम,की सदियों बाद आज़ाद हो गये पर दुखी था मन,कि हमें आज़ाद कराने वाले तो कफ़न पहन कर सो गये। स्वतंत्रता दिवस की शुभकामनाएं।. 🙏🇮🇳🙏 ©Abhishek Mishra

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