मेरी आदत
जाने तू मन की बात ये
कमजोरियों में डूबा इंसान मैं
थी सस्ती मेरी आदतें खराब जो
तूने ही सुधारा कह कर दो बात ये
पकड़ हाथ ले जा जमाने से दूर तू
पता है तुझे की मंज़िल अभी दूर है
अभी ना पहुंचना रहना तेरे साथ है
तू मेरी आदतों में शामिल जैसे शराब है
हारा ज़िन्दगी की हर जंग मैं
मिली तो सोचा हुआ खुशनसीब मैं
अब तो खुशियों को छीनो ना
दे समय कर दूंगा सब ठीक मैं।
रजत अवस्थी
#footsteps