वो भी एक दौर था जब पास था सबकुछ तो, हर सख्स हमारा | हिंदी शायरी
"वो भी एक दौर था जब पास था सबकुछ तो,
हर सख्स हमारा होता था।
उनकी एक मुस्कान से हमारी रूह को सहारा होता था
अरे तूं क्या बराबरी करेगा हमारी,
हमने तो उनके एक सपने के लिए अपनी वो सारी खुशियां बेच दी, जिससे हमारा गुज़ारा होता था।
Aman Raika"
वो भी एक दौर था जब पास था सबकुछ तो,
हर सख्स हमारा होता था।
उनकी एक मुस्कान से हमारी रूह को सहारा होता था
अरे तूं क्या बराबरी करेगा हमारी,
हमने तो उनके एक सपने के लिए अपनी वो सारी खुशियां बेच दी, जिससे हमारा गुज़ारा होता था।
Aman Raika