White उसने संजोया था एक सपना,
उठा किताबें वोह निकला था
करने उस सपने को अपना,
वोह तंत्र में बदलाव चाहता था,
वोह अपने गांव, अपने देश में
लाना खुशहाली चाहता था,
यहां तक सब ठीक था,
मगर वोह एक गलती कर गया,
सपनों के सौदागरों के जाल में
वोह मासूम फंस गया,
आज सब तरफ सन्नाटा है पसरा,
थे सजे जिस घर में ख्वाब सफलता के,
आज उस घर का चिराग बुझ गया,
बस ऐसे ही बड़े आराम से,
बदलाव की उस उम्मीद को,
ये कुतंत्र निगल गया।
©Tarun Dogra
#rainy_season गम भरी शायरी #upsc