कहने को अब मेरे पास कुछ रहा नहीं ! जो दौर था  अब व | हिंदी Poetry

"कहने को अब मेरे पास कुछ रहा नहीं ! जो दौर था  अब वो  भी तो  रहा नहीं !! शब-ए-ख़ामोशी  में याद  उन्हें  किया ! वो शक़्स जो पहले सा अब रहा नहीं !! पाँव से  बचा  ना कोई  मंदिर मस्ज़िद ! दुआ मन्नतों में अब वो असर रहा नहीं !! लिखें भी तो लिखें कैसे शागिर्द-कुमार ! उस्ताद-ए-यार जो अब मेरा रहा नहीं !!                        — Kumar✍️ ©The Unstoppable thoughts"

 कहने को अब मेरे पास कुछ रहा नहीं !
जो दौर था  अब वो  भी तो  रहा नहीं !! 

शब-ए-ख़ामोशी  में याद  उन्हें  किया !
वो शक़्स जो पहले सा अब रहा नहीं !! 

पाँव से  बचा  ना कोई  मंदिर मस्ज़िद !
दुआ मन्नतों में अब वो असर रहा नहीं !! 

लिखें भी तो लिखें कैसे शागिर्द-कुमार !
उस्ताद-ए-यार जो अब मेरा रहा नहीं !!
                       — Kumar✍️

©The Unstoppable thoughts

कहने को अब मेरे पास कुछ रहा नहीं ! जो दौर था  अब वो  भी तो  रहा नहीं !! शब-ए-ख़ामोशी  में याद  उन्हें  किया ! वो शक़्स जो पहले सा अब रहा नहीं !! पाँव से  बचा  ना कोई  मंदिर मस्ज़िद ! दुआ मन्नतों में अब वो असर रहा नहीं !! लिखें भी तो लिखें कैसे शागिर्द-कुमार ! उस्ताद-ए-यार जो अब मेरा रहा नहीं !!                        — Kumar✍️ ©The Unstoppable thoughts

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