"कहने को अब मेरे पास कुछ रहा नहीं !
जो दौर था अब वो भी तो रहा नहीं !!
शब-ए-ख़ामोशी में याद उन्हें किया !
वो शक़्स जो पहले सा अब रहा नहीं !!
पाँव से बचा ना कोई मंदिर मस्ज़िद !
दुआ मन्नतों में अब वो असर रहा नहीं !!
लिखें भी तो लिखें कैसे शागिर्द-कुमार !
उस्ताद-ए-यार जो अब मेरा रहा नहीं !!
— Kumar✍️
©The Unstoppable thoughts"