हर शख्स परिन्दोँ का हमदर्द नही होता दोस्तोँ बहुत | हिंदी Shayari

"हर शख्स परिन्दोँ का हमदर्द नही होता दोस्तोँ बहुत बेदर्द बैठे हैँ दुनिया मे जाल बिछाने वाले ©{पंडित जी}"

 हर शख्स परिन्दोँ का हमदर्द नही होता दोस्तोँ 
बहुत बेदर्द बैठे हैँ दुनिया मे जाल बिछाने वाले

©{पंडित जी}

हर शख्स परिन्दोँ का हमदर्द नही होता दोस्तोँ बहुत बेदर्द बैठे हैँ दुनिया मे जाल बिछाने वाले ©{पंडित जी}

#thought

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