तेरी दहलीज से हम खुद को उठाने वाले हैं एक इंसान | हिंदी शायरी

"तेरी दहलीज से हम खुद को उठाने वाले हैं एक इंसान को घर वापस बुलाने वाले हैं किससे साझा किया जाए तेरे न होने का गम यहां कोई सुनता ही नहीं सब सुनाने वाले हैं कोई इलाज़ नहीं होता दर्द -ऐ -इश्क का मरहम के नाम पर ज़ख्म दुखाने वाले हैं सिलसिला जारी है यहां मेहमानों के आने का हम भी मुहाजिर हैं यारो यहां से जाने वाले हैं ©kulvinder"

 तेरी दहलीज से हम खुद को उठाने वाले हैं
एक  इंसान  को  घर  वापस बुलाने वाले हैं

किससे साझा किया जाए तेरे न होने का गम
यहां कोई सुनता ही नहीं सब सुनाने वाले हैं

कोई  इलाज़  नहीं  होता  दर्द -ऐ -इश्क   का
मरहम   के  नाम  पर  ज़ख्म  दुखाने  वाले हैं

सिलसिला जारी है यहां मेहमानों के आने का
हम भी मुहाजिर हैं यारो यहां से जाने वाले हैं

©kulvinder

तेरी दहलीज से हम खुद को उठाने वाले हैं एक इंसान को घर वापस बुलाने वाले हैं किससे साझा किया जाए तेरे न होने का गम यहां कोई सुनता ही नहीं सब सुनाने वाले हैं कोई इलाज़ नहीं होता दर्द -ऐ -इश्क का मरहम के नाम पर ज़ख्म दुखाने वाले हैं सिलसिला जारी है यहां मेहमानों के आने का हम भी मुहाजिर हैं यारो यहां से जाने वाले हैं ©kulvinder

#Love

People who shared love close

More like this

Trending Topic