*कुर्बानी* क्युँ हमेशा लडकियाँ ही कुर्बान होती रह | हिंदी कविता

"*कुर्बानी* क्युँ हमेशा लडकियाँ ही कुर्बान होती रहेगी। कभी अपने माँ बाप के लिये तो कभी ससुराल के लिये ॥ क्यूँ रिवायत के नाम पर उसे दबाया जाता हैं ? उसकी उडान के पेहलेही उसके पर कांट दिये जाते हैं । अपनी खोकली इज्जत और गैरतं को बचाने, क्यूँ एक औरत के सपनोंकी बली चढाई जाती हैं ? फिर यंही तेरे किसमत का लिखा बोल कर, उसे कुर्बानिकी आदत लगायी जाती हैं । ना करे ऐसा तो हम भी इंसान हैं। जो हक्क आपको हैं जीनेका वो कुदरतने हमको भी फर्माया हैं । आज तोड देंगे वो जंजिरे सभी जिसने रिवायत के नामपर जखड रखा हैं हमें। दे दिये कुर्बानी बोहोत "अब तो जिने दे हमें" "अब तो जिने दे हमें"।। ©Priyanka Daware"

 *कुर्बानी*

क्युँ हमेशा लडकियाँ ही कुर्बान होती रहेगी। 
कभी अपने माँ बाप के लिये तो कभी ससुराल के लिये ॥

क्यूँ रिवायत के नाम पर उसे दबाया जाता हैं ?
 उसकी उडान के पेहलेही उसके पर कांट दिये जाते हैं ।

अपनी खोकली इज्जत और गैरतं को बचाने,
क्यूँ एक औरत के सपनोंकी बली चढाई जाती हैं ?

फिर यंही तेरे किसमत का लिखा बोल कर,
 उसे कुर्बानिकी आदत लगायी जाती हैं ।

ना करे ऐसा तो हम भी इंसान हैं। 
जो हक्क आपको हैं जीनेका वो कुदरतने हमको भी फर्माया हैं ।

आज तोड देंगे वो जंजिरे सभी जिसने
 रिवायत के नामपर जखड रखा हैं हमें।
 दे दिये कुर्बानी बोहोत "अब तो जिने दे हमें" 
"अब तो जिने दे हमें"।।

©Priyanka Daware

*कुर्बानी* क्युँ हमेशा लडकियाँ ही कुर्बान होती रहेगी। कभी अपने माँ बाप के लिये तो कभी ससुराल के लिये ॥ क्यूँ रिवायत के नाम पर उसे दबाया जाता हैं ? उसकी उडान के पेहलेही उसके पर कांट दिये जाते हैं । अपनी खोकली इज्जत और गैरतं को बचाने, क्यूँ एक औरत के सपनोंकी बली चढाई जाती हैं ? फिर यंही तेरे किसमत का लिखा बोल कर, उसे कुर्बानिकी आदत लगायी जाती हैं । ना करे ऐसा तो हम भी इंसान हैं। जो हक्क आपको हैं जीनेका वो कुदरतने हमको भी फर्माया हैं । आज तोड देंगे वो जंजिरे सभी जिसने रिवायत के नामपर जखड रखा हैं हमें। दे दिये कुर्बानी बोहोत "अब तो जिने दे हमें" "अब तो जिने दे हमें"।। ©Priyanka Daware

#कुर्बानी
#अब_तो_जिने_दे_हमें😶

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