"आजकल बिन मोल बिक रहा हूं मैं
आजकल बिन मोल बिक रहा हूं मैं
तेरी दास्तां ए इश्क लिख रहा हूं मैं
दिल के सौदे में तेरी रूह को कमाया है मैंने
कि तुझे गैर के सिंदूर मैं भी दिख रहा हूं मैं
जुबान पुरोहिती"
आजकल बिन मोल बिक रहा हूं मैं
आजकल बिन मोल बिक रहा हूं मैं
तेरी दास्तां ए इश्क लिख रहा हूं मैं
दिल के सौदे में तेरी रूह को कमाया है मैंने
कि तुझे गैर के सिंदूर मैं भी दिख रहा हूं मैं
जुबान पुरोहिती