कहीं पढा था मैंने समंदर से गहरे और शांत लड़के पड़ ज | हिंदी Love

"कहीं पढा था मैंने समंदर से गहरे और शांत लड़के पड़ जाते हैं नदियों सी चंचल लड़कियों के प्रेम में मैं इसी उम्मीद पर ज़िन्दा हु वैसे मेरे प्रेम को किसी की स्वीकृती की आवश्यकता नहीं मेरा प्रेम पूर्ण है अस्तित्व इसका अविस्मरणीय हैं अतुल्य है पा लेने,खो देने की जद्दोजेहद से बहूत दूर शांति से प्रतीक्षारत हैं इसे आभास तो हैं संभवतः कभी न समाप्त होने वाली प्रतिक्षा में हैं लेक़िन जो प्रेम इसलिए समाप्त हो जाए के वो पूर्ण नही हो सकता उसे प्रत्युत्तर में प्रेम प्राप्त नही हो सकता असल मायने में वो प्रेम है भी नहीं मेरा प्रेम वसुधा की तरह निर्मल और पवित्र हैं अरि के मस्तक पर सुशोभित मणि की तरह चमकीला हैं और छोटे बालक के मन की भांति निष्पाप और निश्छल हैं मै अपने एकल निश्छल प्रेम में जीवनपर्यन्त प्रसन्न ही हु ©ashita pandey बेबाक़"

 कहीं पढा था
 मैंने
समंदर से गहरे और शांत लड़के
पड़ जाते हैं
नदियों सी चंचल लड़कियों
के प्रेम में
मैं
इसी उम्मीद पर ज़िन्दा हु
वैसे मेरे प्रेम को किसी की स्वीकृती की आवश्यकता नहीं
मेरा प्रेम पूर्ण है
अस्तित्व इसका 
अविस्मरणीय हैं
अतुल्य है
पा लेने,खो देने
की जद्दोजेहद
से बहूत दूर
शांति से प्रतीक्षारत हैं
इसे आभास तो हैं
संभवतः
कभी न समाप्त होने वाली प्रतिक्षा में हैं
लेक़िन
जो प्रेम इसलिए समाप्त हो जाए
के वो पूर्ण नही हो सकता 
उसे प्रत्युत्तर में प्रेम प्राप्त नही हो सकता
असल मायने में 
वो 
प्रेम है भी नहीं
मेरा प्रेम वसुधा की तरह निर्मल और पवित्र हैं
अरि के मस्तक पर सुशोभित मणि की तरह चमकीला हैं
और 
छोटे बालक के मन की भांति 
निष्पाप और निश्छल हैं
मै
अपने एकल निश्छल प्रेम में 
जीवनपर्यन्त प्रसन्न ही हु

©ashita pandey  बेबाक़

कहीं पढा था मैंने समंदर से गहरे और शांत लड़के पड़ जाते हैं नदियों सी चंचल लड़कियों के प्रेम में मैं इसी उम्मीद पर ज़िन्दा हु वैसे मेरे प्रेम को किसी की स्वीकृती की आवश्यकता नहीं मेरा प्रेम पूर्ण है अस्तित्व इसका अविस्मरणीय हैं अतुल्य है पा लेने,खो देने की जद्दोजेहद से बहूत दूर शांति से प्रतीक्षारत हैं इसे आभास तो हैं संभवतः कभी न समाप्त होने वाली प्रतिक्षा में हैं लेक़िन जो प्रेम इसलिए समाप्त हो जाए के वो पूर्ण नही हो सकता उसे प्रत्युत्तर में प्रेम प्राप्त नही हो सकता असल मायने में वो प्रेम है भी नहीं मेरा प्रेम वसुधा की तरह निर्मल और पवित्र हैं अरि के मस्तक पर सुशोभित मणि की तरह चमकीला हैं और छोटे बालक के मन की भांति निष्पाप और निश्छल हैं मै अपने एकल निश्छल प्रेम में जीवनपर्यन्त प्रसन्न ही हु ©ashita pandey बेबाक़

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