गीला-वीला कीचड़-वीचड़, जगह-जगह जल होने में, | हिंदी शायरी Video

" गीला-वीला कीचड़-वीचड़, जगह-जगह जल होने में, ये महिने दो-तीन बचें हैं, मुझको बादल होने में ! इन हाथों के पत्थर से, ये दुनिया घायल होने में, यारों थोड़ा समय तो दो, पूरा पागल होने में !! ~ अख्तर हिन्दुस्तानी ©कुछ लफ्ज़ यूं ही... "

गीला-वीला कीचड़-वीचड़, जगह-जगह जल होने में, ये महिने दो-तीन बचें हैं, मुझको बादल होने में ! इन हाथों के पत्थर से, ये दुनिया घायल होने में, यारों थोड़ा समय तो दो, पूरा पागल होने में !! ~ अख्तर हिन्दुस्तानी ©कुछ लफ्ज़ यूं ही...

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