White उसने जखम दिया है दवा वो दिया नहीं
हमने मिन्नतें की बहुत मगर वो हिला नहीं
जख्मो पे वो नमक मेरे छिडकता रहा
मैं चीखता रहा मगर उसने सुना नहीं
जालिम है मगर दिल का चैन भी है वो
दिलबर ऐसा मुझे फिर कोई मिला नहीं
अंजाम - ऐ - मुहब्बत तो मालूम था हमे
यारो इसमें उसकी तो कोई खता नहीं
मेरी खता कि ही मुझको मिली है सजा
मासूम है वो उसने कुछ भी किया नहीं
जीते है उसकी यादो के रहमो करम पर
वो इक फूल जो चमन में मेरे खिला नही
( लक्ष्मण दावानी ✍ )
©laxman dawani
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