ये तन्हा महफ़िलें मुझे...
तन्हा रहने की इजाजत नहीं देती....(1)
सबके सामने बयां करूं दर्द,
अब धड़कने इजाजत नहीं देती....(2)
सबाल उनकी ख़ुशी
और मेरे दर्द का है.............. (3)
कभी गौर से सुनना, फिर सोचना
ये महफिलें,क्यों कुछ नहीं कहती....(4)
ये तन्हा महफ़िलें मुझे...
तन्हा रहने की इजाजत नहीं देती....(1)
सबके सामने बयां करूं दर्द,
अब धड़कने इजाजत नहीं देती....(2)
सबाल उनकी ख़ुशी
और मेरे दर्द का है.............. (3)