लगा श्याम रंग माथे पर, कृष्ण धुन पर नाची रे। साध् | हिंदी कविता

"लगा श्याम रंग माथे पर, कृष्ण धुन पर नाची रे। साध्वी बनी जोगन बनी, सत्य की टोह बाची रे। कछु ना भाये सिवा तेरे, बात मेरी साची रे। मीरा तेरी याद में गिरधर दर दर नैना प्यासी रे। प्रीत लगा तोसे मुरलीधर मीरा बन गयी दासी रे। कृष्ण तन कृष्ण मन, कृष्ण को ही सब समर्पण। हुई बावरी मीरा देखो, विष पी कर भी हासी रे। ©“Midnighter”"

 लगा श्याम रंग माथे पर, 
कृष्ण धुन पर नाची रे।
साध्वी बनी जोगन बनी,
सत्य की टोह बाची रे। 
कछु ना भाये सिवा तेरे, 
बात मेरी साची रे। 
मीरा तेरी याद में गिरधर 
दर दर नैना प्यासी रे। 
प्रीत लगा तोसे मुरलीधर 
मीरा बन गयी दासी रे। 
कृष्ण तन कृष्ण मन, 
कृष्ण को ही सब समर्पण। 
हुई बावरी मीरा देखो,
विष पी कर भी हासी रे।

©“Midnighter”

लगा श्याम रंग माथे पर, कृष्ण धुन पर नाची रे। साध्वी बनी जोगन बनी, सत्य की टोह बाची रे। कछु ना भाये सिवा तेरे, बात मेरी साची रे। मीरा तेरी याद में गिरधर दर दर नैना प्यासी रे। प्रीत लगा तोसे मुरलीधर मीरा बन गयी दासी रे। कृष्ण तन कृष्ण मन, कृष्ण को ही सब समर्पण। हुई बावरी मीरा देखो, विष पी कर भी हासी रे। ©“Midnighter”

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