आख़री बार लिख रहा हू,
जमीन से आसमान तक का सफ़र
फिर दरिया के इस किनारे से उस किनारे
तक आया मै तेरी परेछाई जहाँ जहाँ गईं
मै वहां वहां गया पर मेरी बद किस्मती
देख चाहता हू तुम्हें पर तू मिलती
नहीं पास रहती हो फिर भी
कितनी तुम दूर लगती हो
मै भाग भाग थक गया हू,
अब नहीं चला जाता मुझसे तेरी परेछाई के
पीछे अब आना है तो आ जाना
मै इंतज़ार कर लूगा
जब तेरा मन हा
बोलेगा आना
नहीं तो
आवाज भी नहीं लगाना मुझें 🥹
©kishan mahant
#thelunarcycle🥹