ठहरें हुए हैं लोग आज भी महफ़िलें तादाद में, निकल | हिंदी शायरी

"ठहरें हुए हैं लोग आज भी महफ़िलें तादाद में, निकला वहीं जो था मुसलसल नई राहें इज़ाद में..! ©Mani"

 ठहरें हुए हैं लोग आज भी 
महफ़िलें तादाद में, 
निकला वहीं जो था मुसलसल 
नई राहें इज़ाद में..!

©Mani

ठहरें हुए हैं लोग आज भी महफ़िलें तादाद में, निकला वहीं जो था मुसलसल नई राहें इज़ाद में..! ©Mani

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