हम जितना तुम्हें चाहते हैं कोई और
इतना चाह नहीं सकता,
हम जिस तरह तुम्हें मनाते हैं वैसे कोई और
मना नहीं सकता,
क्योंकि तुमपे जितना हक मेरा है उतना
किसी और का नहीं,
क्योंकि जितना तुम्हें हम जानते हैं उतना
जानता कोई और नहीं,
तो सुनो ना! तुम यूँ मुझसे कभी
नाराज ना हुआ करो,
हम भी गर रूठे कभी तुमसे तो तुम भी
मुझे प्यार से मना लिया करो!!
©kajal kannaujiya
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