नोट बंदी
नोट बंदी में देख हुआ,
सबका बुरा हाल।
लगे कतार में बैंक के,
मन में उठे सवाल।
क्या सोचा सरकार ने,
जो हुआ बवाल।
फिर बताया विद्वान ने,
ये था माया जाल।
हेरा-फेरी से कमा कर,
कर रहे जो गुणगान।
चोट जो ऐसी दी उन्हे,
पूर्ण हुआ अभियान।
बोरे भरकर फेंक दिये,
नोटों के भण्डार।
कुछ जंगल में थे मिले,
कमाल किये सरकार।
एक झटके में निकल गये,
देखो तो काले धन।
छिपा रखे गृहणियों ने,
बेचैन हुए तब मन।
नोट बदलने के लिए,
सामने आया राज।
पतियों को मालूम पड़ा,
तब जाकर वह काज।
मोदी जी का हो भला,
जो किया ये काम।
पत्नियाँ सिर को पीटतीं,
खेल हुआ तमाम।
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देवेश दीक्षित
©Devesh Dixit
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नोट बंदी
नोट बंदी में देख हुआ,
सबका बुरा हाल।
लगे कतार में बैंक के,
मन में उठे सवाल।