और बताओ
खैर,
तुम्हारी खैरियत पूछना अब मेरे हक में नहीं।
पर फिर भी ,
अपने हाल- ए- दिल बया कर...
कभी उस पल में खास होने का अहसास तो कराओ।
चलो मान लेती हूं तुम्हारे मेरे दरमाया अब कुछ ना रहा,
तुमने भी मेरे खातीर, मैंने भी तुम्हारे खतीर ,बहुत कुछ है सहा...
इतनी मुस्स्कत के बाद भी हमारा अब हमारा ना रहा।😑
खैर, किनारा करते है इन फिजुल बातों को..
तकलीफों के बोझ तले अब खुद को इतना तो मत दबाओ,
अच्छा ठीक हैं अपनी दर्द- ए -दिल मुझे ना सही किसी और को तो बताओ।
©Juhi Farzana
pain