विजय गाथा" ले देख की हमने दिखा दिया, औकात तुम्हा

""विजय गाथा" ले देख की हमने दिखा दिया, औकात तुम्हारी क्या है , तूने हम को दिखलाया था जब, जात तुम्हारी क्या है । कैसे भूल सकेंगे हम सेना के बलिदानों को -2 दिन में तो होंगे अब घने अंधेरे, देख कि रात तुम्हारी क्या है ।। ले देख की.......... हम तो थे दुनिया में ,अपने प्रेम से बात जताते थे , मानवता है अपना कर्त्तव्य,सब को यह समझाते थे । पर तुमने हमको विवश किया, रुद्रावतार में आने को -2 जो पीठ पे तुमने वार किया ,कहते जज्बात तुम्हारे क्या है ।। ले देख की............ पुलवामा में तुमने धोखा देकर ,ये है गुनाह किया किसी की राखी, किसी का सिंदूर तूने ही तो तबाह किया मां की सूनी आंखों में, इंतजार हमेशा रहेगा अब -2 क्या आती है शर्म तुम्हें, बतलाओ ज़कात तुम्हारे क्या है ।। ले देख के ............. पाक ही होके जब तूने नापाक ये हरकत कर ही दी, हमने भी सीने पर चढ़कर तेरे गोली भर ही दी । आज मनाता विजय दिवस मैं ,सबसे यही मैं कहता हूं अगर हम सब एक रहें तो ,ढूंढ ही लेंगे काट तुम्हारी क्या है ।। ले देख की ............ सन 65 हो या 71 ,कितनी बार तुझे समझाएं हम , लड़ा नहीं करते कुत्ते शेरों से, तुझको यह बतलायें हम । अभी तो बस कुछ बम ही गिरे हैं ,अभी कहानी बाकी है अभी तो तेरे यहां से ,लाशों की बारात निकलना बाकी है ।। जिस दिन हमने ठान लिया ,लाहौर में तिरंगा फहरेगा -2 पर तुझ जैसे हम गिरे नहीं की , इतने भी गिर जाएं हम ।। सुन ले आखिरी बार तू युवा खून ये बोल रहा -2 इतना जलील तो तु हो ही चुका ,बता कि मरजात तुम्हारी क्या है ।। ले देख कि हमने दिखा दिया औकात तुम्हारी क्या है तूने हमको दिख लाया था जब जात तुम्हारी क्या है ।।।। शुभम श्रीवास्तव #NojotoQuote"

 "विजय गाथा"
 ले देख की हमने दिखा दिया, औकात तुम्हारी क्या है ,
तूने हम को दिखलाया था जब, जात तुम्हारी क्या है ।
 कैसे भूल सकेंगे हम सेना के बलिदानों को -2

 दिन में तो होंगे अब घने अंधेरे, देख कि रात तुम्हारी क्या है  ।।
  ले देख की..........
 हम तो थे दुनिया में ,अपने प्रेम से बात जताते थे ,
मानवता है अपना कर्त्तव्य,सब को यह समझाते थे ।
 पर तुमने हमको विवश किया, रुद्रावतार में आने को  -2
जो पीठ पे तुमने वार किया ,कहते जज्बात तुम्हारे क्या है ।।
ले देख की............
 पुलवामा में तुमने धोखा देकर ,ये है गुनाह किया 
किसी की राखी, किसी का सिंदूर तूने ही तो तबाह किया
 मां की सूनी आंखों में, इंतजार हमेशा रहेगा अब  -2
क्या आती है शर्म तुम्हें, बतलाओ ज़कात तुम्हारे क्या है ।।
 ले देख के .............
पाक  ही होके जब तूने नापाक  ये हरकत कर ही दी, 
 हमने भी सीने पर चढ़कर तेरे गोली भर ही दी ।
 आज मनाता विजय दिवस मैं ,सबसे यही मैं कहता हूं 
अगर हम सब एक रहें तो ,ढूंढ ही लेंगे काट तुम्हारी क्या है ।।
ले देख की ............
सन 65 हो या 71 ,कितनी बार तुझे समझाएं हम ,
लड़ा नहीं करते कुत्ते शेरों से, तुझको यह बतलायें हम ।
अभी तो बस कुछ बम ही गिरे हैं ,अभी कहानी बाकी है 
अभी तो तेरे यहां से ,लाशों की बारात निकलना बाकी है ।।
जिस दिन हमने ठान लिया ,लाहौर में तिरंगा  फहरेगा -2 
पर तुझ जैसे हम गिरे नहीं की , इतने भी गिर जाएं हम ।।
सुन ले आखिरी बार तू  युवा   खून ये बोल रहा -2
इतना जलील तो तु हो ही चुका ,बता कि मरजात  तुम्हारी क्या है ।।
ले देख कि हमने दिखा दिया औकात तुम्हारी क्या है 
तूने हमको दिख लाया था जब जात तुम्हारी क्या है  ।।।।
शुभम श्रीवास्तव #NojotoQuote

"विजय गाथा" ले देख की हमने दिखा दिया, औकात तुम्हारी क्या है , तूने हम को दिखलाया था जब, जात तुम्हारी क्या है । कैसे भूल सकेंगे हम सेना के बलिदानों को -2 दिन में तो होंगे अब घने अंधेरे, देख कि रात तुम्हारी क्या है ।। ले देख की.......... हम तो थे दुनिया में ,अपने प्रेम से बात जताते थे , मानवता है अपना कर्त्तव्य,सब को यह समझाते थे । पर तुमने हमको विवश किया, रुद्रावतार में आने को -2 जो पीठ पे तुमने वार किया ,कहते जज्बात तुम्हारे क्या है ।। ले देख की............ पुलवामा में तुमने धोखा देकर ,ये है गुनाह किया किसी की राखी, किसी का सिंदूर तूने ही तो तबाह किया मां की सूनी आंखों में, इंतजार हमेशा रहेगा अब -2 क्या आती है शर्म तुम्हें, बतलाओ ज़कात तुम्हारे क्या है ।। ले देख के ............. पाक ही होके जब तूने नापाक ये हरकत कर ही दी, हमने भी सीने पर चढ़कर तेरे गोली भर ही दी । आज मनाता विजय दिवस मैं ,सबसे यही मैं कहता हूं अगर हम सब एक रहें तो ,ढूंढ ही लेंगे काट तुम्हारी क्या है ।। ले देख की ............ सन 65 हो या 71 ,कितनी बार तुझे समझाएं हम , लड़ा नहीं करते कुत्ते शेरों से, तुझको यह बतलायें हम । अभी तो बस कुछ बम ही गिरे हैं ,अभी कहानी बाकी है अभी तो तेरे यहां से ,लाशों की बारात निकलना बाकी है ।। जिस दिन हमने ठान लिया ,लाहौर में तिरंगा फहरेगा -2 पर तुझ जैसे हम गिरे नहीं की , इतने भी गिर जाएं हम ।। सुन ले आखिरी बार तू युवा खून ये बोल रहा -2 इतना जलील तो तु हो ही चुका ,बता कि मरजात तुम्हारी क्या है ।। ले देख कि हमने दिखा दिया औकात तुम्हारी क्या है तूने हमको दिख लाया था जब जात तुम्हारी क्या है ।।।। शुभम श्रीवास्तव

""विजय गाथा"" .....

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