ख्वाबों की ताबीर लिख रहा हूँ
अपने बिगड़े हुए मुकद्दर लिख रहा हूँ
दुशवारियों का सबब बहुत है मगर
मैं तुझे ख्यालें जेरोजजर लिख रहा हूँ
हो सके तो याद हमें भी करना तुम
अपने ख्वाबों में तुझे यार लिख रहा हूँ
दुश्वारिया घेर लिया है मुझे इस कदर
तुझे मैं अपना पुराना प्यार लिख रहा हूँ
तू चाहे तो मिल सकता है मुझसे आरिफ़
क्योंकि मैं तुझे अपना हमसफ़र लिख रहा हू
©Mohammad Arif (WordsOfArif)
ख्वाबों की ताबीर लिख रहा हूँ
अपने बिगड़े हुए मुकद्दर लिख रहा हूँ
दुशवारियों का सबब बहुत है मगर
मैं तुझे ख्यालें जेरोजजर लिख रहा हूँ
हो सके तो याद हमें भी करना तुम
अपने ख्वाबों में तुझे यार लिख रहा हूँ