उस पेड़ की छाओ तले फिर सर रख सोने का दिल करता है
पर उनके करीब जाना हमे असम्भव सा लगता है
फिर उनके हाथ का खाना खाने को जी करता है पर इस बेवफा वक़्त के आगे सब मुश्किल लगता है
मै फिर उनका आँचल पकड़ घूमना चाहता हु उनको गले से लगाकर सुकूँ पाना चाहता हू
यू तो बचपन मे बिछड़े है कई बार गम नही पर अब अंधेरो मे रो के दुख निकाल दिया करता हू
ऐ मुर्शिद आप कहते थे ना नही रह पाएगा मेरे बिना देख मै कैसे वक़्त से समझौता कर जीना सीख गया हू ✍
meri maa
#pyaarimaa