सच तो ये है की कसूर अपना है,,
चाँद को छूने की तंमना की
आसमा को जमीन पर मांगा
फूल चाहा के पत्थरों पे खिले
कन्टो में की तलाश खुशबू की
आरजू की के आग ठंडक दे
बर्फ में ढूंढते रहे गर्मी
ख्वाब जो देखा चाहा सच हो जाए
इसकी हमको सज़ा तो मिलनी थी
सच तो ये है कि कसूर अपना है।।
(जावेद अख्तर)✍️
होठो पे सच्चाई रहती है
जहा दिल मे सफाई रहती है
हम उस देश के वासी है
जिस देश मे गंगा बहती है,
महमान जो हमारा होता है
वो जान से प्यारा होता है
ज्यादा की नही लालच हमको
थोड़े में गुजरा होता है
बच्चो के लिए जो धरती माँ
सदियो से सभी कुछ सहती है
हम उस देश के वासी है
जिस देश मे गंगा बहती है,,
अफवाहों पे ना ध्यान दो काम तुम अपना करो,,
यू छोटी छोटी बातों पे ना पिघला करो,
है ठीक नही मिज़ाज़ बाहर के आज कल,
घर से जरा कम ही निकला करो,,
|sachin thakur)
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